इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी.
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कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट
इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की मानी जा रही है..
केंद्र सरकार ने धान सहित दलहन की एमएसपी में किया इजाफा
कैबिनेट बैठक के पश्चात मोदी सरकार ने धान के साथ- साथ दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की स्वीकृति दी है। विशेष बात यह है, कि खरीफ फसलों की एमएसपी में 3 से 6 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की गई है। इस तरह अब तुअर दाल का भाव बढ़कर 7000 रुपये क्विंटल तक पहुँच चुका है। साथ ही, उड़द दाल के न्यूनतम समर्थम मूल्य में 350 रुपये की वृद्धि की गई है। फिलहाल, एक क्विटंल उड़द दाल की कीमत 6950 रुपये हो चुकी है।
मोटे अनाज की फसलों पर कितने रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की गई है
विशेष बात यह है, कि मोटे अनाज की एमएसपी में भी वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने मक्के की एमएसपी में 128 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की है।
करोड़ों गरीबों को खाद्य उपलब्ध कराया गया है
साथ ही, बैठक के पश्चात मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है, कि खरीफ की पैदावार 2018 में 2850 लाख टन था। जो कि अब बढ़कर 330 मिलियन टन पर पहुँच जाएगा। उनकी माने तो मूंग दाल की एमएसपी में 10% प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। अब मूंग दाल की कीमत 8558 रुपये क्विंटल तक पहुँच गई है। वहीं, सोयाबीन, रागी, ज्वार, बाजारा और मेज की एमएसपी में 6 से 7% प्रतिशत का इजाफा किया गया है। इसी प्रकार कपास के समर्थन मूल्य में भी 10% प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। विशेष बात यह है, कि सरकार ने फर्टिलाइजर के भाव में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की है। सरकार का यह कहना है, कि हमारी सरकार ने 16-17 करोड़ गरीबों को खाद्य उपलब्ध कराया है।
केंद्र सरकार प्रतिवर्ष 23 फसलों के लिए एमएसपी जारी करती है
बतादें, कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर सरकार प्रति वर्ष 23 फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है। CACP 23 फसलों पर एमएसपी की सिफारिश लागू करता है। इसके अंतर्गत सात अनाज, सात तिलहन, पांच दलहन और चार कमर्शियल फसलें शम्मिलित हैं। इन 23 फसलों में से 15 खरीफ फसलें हैं और अन्य रबी फसलें हैं।
बतादें, कि धान की एमएसपी में वृद्धि किए जाने से पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत विभिन्न राज्यों के किसानों को मोटा मुनाफा अर्जित होगा। क्योंकि, इन राज्यों में धान का काफी अच्छा उत्पादन होता है। एकमात्र पश्चिम बंगाल 54.34 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करता है, जिससे 146.06 लाख टन धान की पैदावार होती है। विशेष बात यह है, कि भारत सबसे ज्यादा बासमती चावल का निर्यात करता है। विगत वर्ष भारत ने 24.97 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था।
गेहूं, अलसी, सरसों, कुसुम, मटर, चना एवं जौ रबी फसल में आते हैं। इनकी बुवाई अक्टूबर माह से नवंबर माह के बीच की जाती है। विशेष बात यह है, कि रबी फसलों की सर्वाधिक खेती उत्तर भारत के राज्यों में ही की जाती है। गेंहू की बात करें तो उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कहा जाता है। इसके पश्चात मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार पंजाब, हरियाणा और राजस्थान का नंबर आता है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बढ़ोतरी की है। इसके उपरांत गेहूं की एमएसपी रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। मतलब, कि पीएम मोदी के कैबिनेट के निर्णय से , गुजरात, बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के करोड़ों किसानों को काफी ज्यादा लाभ मिलेगा।
भारत में सरसों का कहाँ और कितना उत्पादन किया जाता है
भारत में इसी प्रकार सरसों की पैदावार में राजस्थान अव्वल राज्य है। इसकी भारत में कुल उत्पादित सरसों में 46.7 फीसद भागीदारी है। इसका मतलब यह हुआ है, कि राजस्थान एकमात्र 46.7 फीसद सरसों की पैदावार करती है। इसके पश्चात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। फिलहाल, केंद्र सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से इजाफा किया है। इसके साथ ही सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6550 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच चुका है। ऐसी स्थिति में इन राज्यों के किसानों को बेहद लाभ मिलेगा।
सरसों का उत्पादन क्षेत्रफल बढ़ने से महंगाई में गिरावट आएगी
साथ ही, कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि भारत में खपत के अनुसार सरसों की पैदावार काफी कम होती है। ऐसी परिस्थिति में विदेश से खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी करने का निर्णय समुचित समय पर लिया गया है। क्योंकि, वर्तमान में सरसों की बिजाई का सीजन चल रहा है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि एमएसपी में इजाफा होने से कृषक अधिक कमाई करने के लिए अधिक क्षेत्रफल में सरसों की बिजाई करेंगे। इससे भारत में सरसों का उत्पादन बढ़ जाएगा, जिससे सरसों के तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे महंगाई में भी काफी गिरावट आएगी।